कोशिका की संरचना || koshika ki sanrachna || 2023



नमस्कार दोस्तो, हम आशा करते है कि अब तक आप कोशिका एवं उसके प्रकारों के बारे में पर्याप्त जानकारी हासिल कर चुके होंगे। अगर आपने इनके बारे में नही पढ़ा है तो आप सबसे नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते है। इस लेख में हम कोशिका की संरचना (koshika ki sanrachna) को अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे। आपसे अनुरोध है कि कोशिका की संरचना को पढ़ते समय इससे संबंधित चित्रों को अच्छे से देखे।

कोशिका की संरचना
कोशिका की संरचना 



 कोशिका की संरचना (Structure of Cell) 

हम सभी जानते है कि कोशिकायें दो प्रकार की होती है;  प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं तथा यूकैरियोटिक कोशिकायें

 हमे पता है कि प्रोकैरियोटिक कोशिकायें कुछ एककोशीकीय जीवों जैसे; जीवाणु (Bacteria) आदि में देखने को मिलती है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकायें कुछ एककोशिकीय जीवों जैसे; अमीबा आदि के साथ साथ सभी बहुकोशिकीय जीवों में देखने को मिलती है। इन दोनो कोशिकाओं की संरचना एक दूसरे से भिन्न होती है। इस कारण पहले हम प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं की संरचना के बारे में बात करेंगे और फिर यूकैरियोटिक कोशिकाओं की संरचना को समझेंगे।


 प्रोकैरियोटिक कोशिका की संरचना 

प्रोकैरियोटिक कोशिका की संरचना को समझने के लिए हम एक जीवाणु का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि हम जानते है कि जीवाणु(बैक्टीरिया) एककोशिकीय जीव होते है और जो कोशिका उनके पास है वो प्रोकैरियोटिक कोशिका है।अतः एक जीवणु की संरचना को समझते ही प्रोकैरियोटिक कोशिका की संरचना स्पष्ट हो जायेगी।                         


bacteria
जीवाणु (Bacteria)


तो चलिए अब कल्पना करते है कि हम एक जीवणु में बाहर से अंदर की ओर प्रवेश कर रहे है और फिर सबसे पहले हमारा सामना होता है:


जीवाणु की संरचना
प्रोकैरियोटिक कोशिका की संरचना 



1- Glycocalyx layer (ग्लाइकोकैलिक्स परत)

यह जीवणु में सबसे बाहर की ओर पाई जाने वाली परत है। अलग-अलग प्रकार के जीवाणुओं में इस परत की मोटाई तथा संघटन अलग-अलग होता है। कुछ जीवाणुओं में यह परत Gel के समान ढीली-ढाली होती है तब इसको Slime layer कहा जाता है तथा कुछ जीवाणुओं में यह मोटी एवं कढ़ी होती है और तब इसको Capsule कहा जाता है। Glycocalyx layer जीवणु को सुरक्षा देने के साथ-साथ उसको सतह से चिपके रहने एवं चलने में सहायता करती है।



2- Cell wall (कोशिका भित्त)

Glycocalyx से अंदर की ओर कोशिका भित्त मौजूद होती है। ये काफी मजबूत एवं दृढ़ होती है जिसका मुख्य कार्य जीवणु को बाहरी अघात से सुरक्षा देना तथा इसकी आकृति का निर्धारण करना है। जीवणु की कोशिका भित्त Murein या Peptidoglycan (पेप्टाइडोग्लाइकेन) नामक पदार्थ से बनी होती है। Peptidoglycan एसिटल ग्लोकोसामीन तथा एसिटिल म्यूमेरिक अम्ल के अणुओं का बहुलक है। इसके बारे में हम जैव अणुओं (Biomolecules) में विस्तार से चर्चा करेंगे।



3- Plasma Membrane (जीवद्रव्य कला) या Cell membrane (कोशिका कला)


यह कोशिका भित्त से अंदर की ओर मौजूद अर्धपारगम्य(semipermeable) झिल्ली(Membrane) है। अर्धपारगम्य होने का मतलब है कि यह कुछ चुनिंदा पदार्थों को ही अपने से पार जाने देती है। इस कारण यह जीवणु के भोजन तथा उत्सर्जी पदार्थों के आदान प्रदान का नियंत्रण रखती है। अंदर की ओर जीवद्रव्य कला बलायकार (circular) होकर Mesosomes(मध्यकाय) का निर्माण करती है, जो श्वसन में सहायक होते है। Mesosomes की तुलना हम यूकैरियोटिक कोशिकाओं में मौजूद माइटोकांड्रिया से कर सकते है क्योंकि माइटोकांड्रिया यूकैरियोटिक कोशिकाओं के श्वसन में सहायक होते है।

Mesosomes
मध्यकाय (Mesosome)



नोट: उपर्युक्त तीनों परतों को मिलाकर हम कोशिका आवरण(Cell Envelop) कहते है।
 


4- Cytoplasm (कोशिकाद्रव्य)

जीवणु में इन तीनों परतों से घिरा अर्द्धतरल या जैलीनुमा पदार्थ कोशिका द्रव्य कहलाता है। जीवणु या किसी प्रोकैरियोटिक कोशिका को जीवित रखने वाली सभी रसायनिक अभिक्रियाएं इसमें ही संपन्न होती है। इस कोशिकाद्रव्य में झिल्ली युक्त कोशीकांग जैसे; माइटोकांड्रिया आदि उपस्थित नही होते है।

नोट: कोशिका के अंदर पाए जाने वाली संरचनाओं को हम कोशिकांग कहते है।



5-Nucleoid (केंद्रकाभ)

जीवणु (प्रोकैरियोटिक कोशिका) में यूकैरियोटिक कोशिकाओं की तरह पूर्ण विकसित केंद्रक नही पाया जाता है अर्थात् केंद्रक में केंद्रक कला आदि का अभाव होता है।जिस कारण इसका अनुवांशिकी पदार्थ अर्थात् द्विसूत्री गोलाकार डीएनए(Double stranded circular DNA) कोशिकाद्रव्य में खुला पड़ा रहता है और इसको ही हम Nucleoid कहते है।
 


6- Plasmid (प्लाजमिड)

कुछ जीवाणुओं जैसे; E.coli में मुख्य अनुवांशिकी पदार्थ के अतिरिक्त छोटे-छोटे द्विसूत्री गोल DNA कोशिकाद्रव्य में पड़े होते है इनको ही हम प्लाजमिड कहते है। ये प्लेजमिड ही जीवणु को कुछ अतिरिक्त क्षमताएं जैसे; एंटीबायोटिक्स के प्रति रोधक क्षमता आदि प्रदान करते है।



7- Ribosomes (राइबोसोम)

हम जानते है कि जीवणु (प्रोकैरियोटिक कोशिका) में झिल्ली युक्त कोशीकांग जैसे; माइटोकांड्रिया, हरित लवक, एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम, लाइसोसोम्स आदि नही पाए जाते है। इसमें सिर्फ एक ही कोशिकांग पाया जाता है जो की झिल्ली युक्त नही है वो है राइबोसोम। इनमे पाया जाने वाला राइबोसोम 70s प्रकार का होता है। अनुवांशिकी पदार्थ के द्वारा भेजे गए संदेशानुसार प्रोटीन का निर्माण राइबोसोम पर ही होता है। जीवणु में प्रोटीन निर्माण के समय एक mRNA, कई सारे राइबोसोम से जुड़कर श्रंखला (chain) बनाता है जिसे बहुराइबोसोम (Polyribosomes) कहते है।

नोट: अनुवांशिकी पदार्थ से प्रोटीन निर्माण की सूचना mRNA ही राइबोसोम तक लाता है।




8- Flagella (कशाभ)

जो जीवणु चल सकते है जैसे; E.coli आदि में गति के लिए Flagella पाया जाता है। यह फ्लेजलिन नामक प्रोटीन से बनी संरचना है। इसके बारे में गहराई से अध्यन हम तब करेंगे जब हम जीवणु को और गहराई से समझेंगे।

नोट: जीवणु अर्थात् प्रोकैरियोटिक कोशिका में पाया जाने बाला flagella, यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाए जाने वाले flagella से संरचना में तथा गति दोनो में भिन्न होता है मतलब दोनो अलग-अलग प्रकार की गति प्रदान करते है।




 यूकैरियोटिक कोशिका की संरचना 


animal cell

plant cell


यूकैरियोटिक कोशिका की संरचना को अच्छे से समझने के लिए हम इसको तीन भागों में बांट सकते है;

• बाह्य आवरण        • जीवद्रव्य(Protoplasm)         • कोशिकांग


1- वाह्य आवरण

* वाह्य आवरण में कोशिका कला तथा कोशिका भित्त सम्मलित होते है।

नोट: कोशिका भित्त सिर्फ पादपों तथा कवको (Fungi) में पाए जाने वाली यूकैरियोटिक कोशिकाओं में देखने को मिलती है। जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्त नही पाई जाती है।

* यूकैरियोटिक कोशिका के वाह्य आवरण का कार्य सुरक्षा प्रदान करना तथा कोशिका के अंदर एवं बाहर जाने वाले पदार्थों का नियंत्रण करना है।


2- जीवद्रव्य

* जीवद्रव्य को ही जीवन का भौतिक आधार कहा जाता है क्योंकि जीवन को चलाने वाली या कोशिका को जीवित        रखने वाली सभी क्रियाएं इसमें ही सम्पन्न होती है।

* जीवद्रव्य में कोशिकाद्रव्य तथा केंद्रकद्रव्य (केंद्रक के अंदर पाया जाने वाला द्रव्य) दोनो सम्मलित होते है।


3- कोशिकांग


* कोशिका के कोशिकाद्रव्य में मौजूद महत्त्वपूर्ण संरचनाएं जो कि कोशिका में विशिष्ट कार्य को करती है,                   कोशिकांग कहलाती है। हम इनको तीन भागों में बांट सकते है;

(a) द्विकलिय (Double membranous) कोशीकांग

वो कोशिकांग जो दो कलाओं(membranes) से घिरे होते है जैसे; केंद्रक, माइटोकांड्रिया तथा लवक।

नोट: लवक जैसे; क्लोरोप्लास्ट आदि सिर्फ पादप कोशिकाओं में ही पाए जाते है। जंतु कोशिकाओं में ये नही पाए जाते।


(b) एककलीय (single membranous) कोशिकांग

वो कोशिकांग जो सिर्फ एक ही कला(membrane) से घिरे होते है। जैसे; लाइसोसोम, एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम, गोल्जी बॉडी, रिक्तिका (Vacuole)।




(c) अकलीय (No membranous) कोशिकांग


वो कोशिकांग जिनके चारो तरफ कला(membrane) अनुपस्थित होती है। जैसे; राइबोसोम, तारककाय (centrosome)। 

Note: तारककाय सिर्फ जंतु कोशिकाओं में देखने को मिलता है। पादप कोशिकाओं में यह नही पाया जाता।

तो दोस्तो अब हम इन सभी को एक-एक करके विस्तार से समझेंगे।

• कोशिका भित्त

• कोशिका कला

• जीवद्रव्य

• केंद्रक

• माइटोकांड्रिया

• लवक

• एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम

• गोल्जी बॉडी

• लाइसोसोम्स

• रिक्तिका

• राइबोसोम

• तारककाय 


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