कोशिका किसे कहते हैं?
कोशिका पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवधारियों जैसे; पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े तथा सूक्ष्म जीवों (बैक्टीरिया, अमीबा, पैरामीशियम) आदि की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। कोशिका के संरचनात्मक इकाई होने का मतलब है कि सभी जीवधारियो की संरचना का सबसे छोटा स्तर कोशिका है जैसे; जब हम किसी मकान को देखते है तो हमे पता होता है कि कई सारी ईंटों के मिलने से एक दीवार बनती है, चार दीवारें आपस में मिलकर एक कमरा बनाती है और फिर कई कमरों के मिलने से एक मकान तैयार होता है। इस मामले में हम कह सकते है कि मकान की संरचना का सबसे छोट स्तर ईंट है अर्थात ईंट मकान की संरचनात्मक इकाई है। कोशिका के क्रियात्मक इकाई होने का मतलब है कि सभी जीवधारियों में होने वाली सभी क्रियाएं (पाचन, श्वसन, जनन आदि) अंतरिक स्तर पर कोशिका द्वारा ही संपन्न होती है।
पृथ्वी पर मौजूद जीवधारियों में अधिकतम जीवधारियों का शरीर बहुत सी कोशिकाओं के मिलने से बना होता है जैसे; मानव, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि। इन्हे हम बहुकोशिकीय जीव कहते है। पृथ्वी पर ऐसे भी जीवधारी है जिनका शरीर एक ही कोशिका से बना होता है जैसे अमीबा, पैरामीशियम, बैक्टीरिया आदि। इन्हे हम एककोशिकीय जीव कहते है। ये जीव एक ही कोशिका से अपने सारे कार्य जैसे (पाचन, श्वसन, जनन आदि) संपन्न कर पाते है है| अतः हम कह सकते है कि एक कोशिका भी इस संसार में अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखती है।
कोशिका की खोज
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रॉबर्ट हुक |
कोशिका की खोज करने का श्रेय इंग्लैंड के वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक को जाता है क्योंकि सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने सन् 1665 में अपने खुद के द्वारा बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी (microscope) में कोशिका को देखा। रॉबर्ट हुक ने जब कॉर्क(cork) के टुकड़े को सूक्ष्मदर्शी में देखा तो उन्हें मधुमक्खी के छत्ते के समान संरचनाएं दिखाई दी और इन संरचनाओं के लिए उन्होंने 'Cell' शब्द का प्रयोग किया। इस घटना का वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तक'Micrographia' में किया है।
आज हमे पता है कि असल में रॉबर्ट हुक ने जो कॉर्क के टुकड़े मे जो संरचनाएं सूक्ष्मदर्शी से देखी वो कोशिकाएं ही थी क्योंकि कॉर्क पेड़ों से प्राप्त होता है और पेड़ कोशिकाओं से बना होता है पर रॉबर्ट हुक ने जो कोशिकाएं देखी वो मृत थी।
नोट: कॉर्क एक पदार्थ है जो कि पेड़ों की छाल से प्राप्त होता है। इंग्लैंड में इसका प्रयोग शराब की बोतलों को सील करने में करते है क्योंकि यह पदार्थ नमी रोधी होता है।
जीवित कोशिका की खोज
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एंटोनी वान ल्यूवेनहॉक |
कमाल की बात तो ये है कि रॉबर्ट हुक जिन्होंने पहली बार मृत कोशिकाओं को देखा, एक वैज्ञानिक थे और साथ में इंग्लैंड की Royal society के सदस्य भी थे पर एंटोनी वान ल्यूवेनहॉक कोई प्रमाणित वैज्ञानिक नही थे बल्कि एक व्यापारी थे।
इतिहास में सूक्ष्मदर्शी का सीधा सम्बन्ध कोशिका विज्ञान(cytology) से दिखता है। जैसे-जैसे इतिहास में सूक्ष्मदर्शी की क्षमताओं में वृद्धि होती गई वैसे-वैसे आप देखोगे हम कोशिका के बारे में और भी अधिक जानकारी हासिल करते गए। इसका कारण है कि कोशिकाएं नग्न आंखो से दिखाई नही देती और फिर जब कोशिका के अंदर का अध्यन करना हो तो और भी क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होना तय है। रॉबर्ट हुक और एंटोनी वान ल्यूवेनहॉक ने जिस सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया वो साधारण सूक्ष्मदर्शी(simple microscope) था। सन् 1710 में विल्सन ने संयुक्त सूक्ष्मदर्शी(Compound microscope) का अविष्कार किया। जिसके बाद कोशिका के अंदर की चीजों के बारे में जानकारी हासिल करना और भी आसान हुआ।
सन् 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका में केंद्रक का पता लगाया। सन् 1835 में डुजॉर्डन ने कोशिका में भरे अर्धतरल
पदार्थ का पता लगाया और इसे सर्कोड(sarcode) नाम दिया जिसे बाद में पुरकिंजे ने जीवद्रव्य कहा।
कोशिका सिद्धांत(Cell theory)
कोशिका के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने के बाद वैज्ञानिक एम. जे.श्लाइडेन तथा वैज्ञानिक थिओडर श्वान ने सन् 1839 में कोशिका सिद्धांत को प्रस्तुत किया। जहां एक ओर एम. जे. श्लाइडेन जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक थे वहीं दूसरी ओर थिओडर श्वान ब्रिटिश जंतु वैज्ञानिक थे। इनके द्वारा प्रस्तुत कोशिका सिद्धांत के प्रमुख बिंदु इस प्रकार है..
• कोशिका जीवन की सबसे छोटी इकाई है। यह इतनी छोटी है इसको नग्न आंखो से देख पाना संभव नही है।
• सभी जीव तथा पादप, कोशिकाओ तथा उनसे निर्मित उत्पादों से मिलकर बने होते है।
• अलग-अलग जीवों तथा एक ही जीव में पाई जाने वाली कोशिकाओं की आकृति तथा आकर अलग-अलग हो सकते है। जैसे; एक मानव कोशिका, एक पादप कोशिका से अलग होती है और मानव के अंदर ही यकृत(liver) की कोशिका, मस्तिस्क की कोशिका से अलग होती है। जैसे कि आप चित्र मे देख सकते है;
• सभी जीवित कोशिकाओ में कुछ निश्चित गुण जैसे श्वसन, उपापचय, जनन आदि देखने को मिलते हैं।
• सभी कोशिकाओं में एक केंद्रक होता है।
• कोशिकाओं में जीवद्रव्य ही जीवन का आधार है क्योंकि कोशिका को जीवित रखने वाली सारी अभिक्रियाएं इसमें ही होती है।
सन् 1839 में प्रस्तुत यह कोशिका सिद्धांत कोशिकाओं की उत्पत्ति के बारे में कोई बात नही करता। बाद में वैज्ञानिक रुडोल्फ वीरखोब ने सन् 1855 में पहली बार बताया कि पुरानी कोशिकाएं विभाजित होती है और उनसे नई कोशिकाओं का जन्म होता है और फिर कोशिका सिद्धांत में एक और प्वाइंट जुड़ा जोकि है;
•सारी कोशिकाएं पहले से मौजूद कोशिकाओं से ही उत्पन्न होती है।
कोशिका सिद्धांत के अपवाद
• कोशिका सिद्धांत कहता है कि जीवद्रव्य जीवन का आधार है अर्थात् जीवद्रव्य के बिना कोशिका जीवित नही होती अतः जीवन नही होता पर विषाणुओ (virus) में केंद्रक तथा जीवद्रव्य ही नही होता फिर भी वह सामान्य जीवों की तरह जनन कर पाता है।
• कोशिका सिद्धान्त कहता है कि सभी कोशिकाओ में केंद्रक उपस्थित होता है पर कुछ ऐसी भी कोशिकाएं है जिनमे केंद्रक नही होता है जैसे; आवृतबीजी पदपो में चालिनी नलिकाएं(Sieve tube cells) तथा स्तनधारियों में RBC।
• कोशिका सिद्धांत कहता है कोशिकाओं मे एक ही केंद्रक होता है पर कुछ कोशिकाओं में अनेक केंद्रक भी होते है। जिनके बारे मे हम आगे बात करेंगे।
धन्यवाद, अपने मेरे आर्टिकल को ध्यान से पढा। उम्मीद है कि हम आपको कोशिका के बारे में सरलता से और क्रमबद्ध तरीके से समझने में सफल रहे होंगे
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