कोशिका झिल्ली किसे कहते है | Koshika jhilli kise kahte hain || 2023

 नमस्कार दोस्तों, Sceicepe.com के इस नए लेख में आपका स्वागत है। इस लेख में पहले हम बात करेंगे कि कोशिका झिल्ली किसे कहते हैं (koshika jhilli kise kahte hain) और फिर हम इसकी संरचना तथा इसके कार्यों को भी समझने की कोशिश करेंगे।


कोशिका झिल्ली किसे कहते है?

प्रत्येक कोशिका (प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक दोनो) के चारो ओर पाई जाने वाली पतली, लचीली, तथा अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) को कोशिका झिल्ली या कोशिका कला कहते है। 

koshika jhilli kise kahte hain
कोशिका झिल्ली (Cell membrane)

जीवणु, कवक तथा पादप कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली कोशिका भित्त के अंदर पाई जाती है जबकि जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्त नही पाई जाती इसीलिए जंतु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली ही कोशिका का बाहरी आवरण बनाती है। अर्धपारगम्य होने की वजह से कोशिका झिल्ली कुछ चुनिंदा पदार्थों को ही अपने से आर-पार जाने देती है और इस कारण से ही हम इसे चयनात्मक पारगम्य ( Selective permeable) तथा जीवित परत कहते है।

कोशिका झिल्ली किसकी बनी होती है?

कोशिका झिल्ली मुख्य रूप से वसा(Lipids) तथा प्रोटीन(Proteins) की बनी होती है। अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली में प्रोटीन तथा वसा की मात्रा अलग-अलग हो सकती है जैसे; मानव रुधिर की RBC की कोशिका झिल्ली में 52% प्रोटीन तथा 40% वसा होती है। कोशिका झिल्ली में वसा तथा प्रोटीन के अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) भी पाए जाते है। बसा के रूप में कोशिका झिल्ली में मुख्य रूप से फॉस्फोलिपिड (Phospholipid) होते है तथा कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) भी होता है।

कोशिका झिल्ली की संरचना

हम सभी जानते है कि एक कोशिका का आकार काफी सूक्ष्म होता है। हम इसे नग्न आंखो से नही देख सकते। इसे देखने के लिए हमे सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है; और फिर कोशिका झिल्ली तो कोशिका के चारो ओर पाई जाने वाली बहुत पतली परत है जिस कारण इसकी संरचना का विस्तृत अध्ययन करना इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद 1950 के दशक में ही संभव हो पाया। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी को Ernst Ruska तथा Max Knoll ने सन् 1931 में विकसित किया था। पर तब तक कोशिका झिल्ली की संरचना का अनुमान करने के लिए वैज्ञानिको ने मानव रुधिर की RBC का उपयोग किया। RBC कोशिका में केंद्रक तथा अन्य कोशिकांग नही पाए जाते है। इसमें सिर्फ कोशिका झिल्ली के अंदर हीमोग्लोबिन प्रोटीन भरा होता है। जिस कारण से RBC की कोशिका झिल्ली का अध्यन सरलता से किया जा सकता है।

electron mi croscope
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (electron microscope)


RBC कोशिका के इस अध्यन में ही वैज्ञानिकों ने पाया कि;

•कोशिका झिल्ली में मुख्य रूप से प्रोटीन तथा लिपिड(वसा) होते है।

•लिपिड में भी मुख्य रूप से फॉस्फोलिपिड है तथा ये द्विपरत(Bilayer) के रूप में मौजूद है।

इन अध्यनो से ये तो स्पष्ट होता है कि कोशिका झिल्ली किन पदार्थों से बनी होती है पर ये पदार्थ किस तरीके से कोशिका झिल्ली में व्यवस्थित है? ये सपष्ट नही होता। वैज्ञानिको ने कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाने के लिए अपने-अपने मॉडल प्रस्तुत किए है जैसे;


1- एकल झिल्ली परिकल्पना (Unit Membrane Concept)

यह मॉडल सन् 1953 में Robertson ने प्रस्तुत किया। इसके अनुसार;

• कोशिका झिल्ली में प्रोटीन की दो मोटी परतों के बीच sandwich की तरह लिपिड की द्विअणुक(Bimolecular) परत मौजूद होती है।

• इस मॉडल के अनुसार प्रोटीन की प्रत्येक परत की मोटाई 20A° तथा लिपिड की द्विअणुक परत की मोटाई 35A° है। इस प्रकार कोशिका झिल्ली की कुल मोटाई 75A हुई। 

• लिपिड की द्विअणुक परत में फॉस्फोलिपिड के अणु चित्र के अनुसार मौजूद होते है। 


Robertson model
एकल झिल्ली परिकल्पना (unit membrane concept)

नोट: फॉस्फोलिपिड अणु के दो भाग होते है; 

(a) Head 

इस भाग का निर्माण एक फास्फेट अणु के ग्लिसीरोल अणु के साथ जुड़ने वाले स्थान पर होता है। इस कारण से यह हाइड्रोफिलिक अर्थात् जल तथा आयन जैसे; Na+, K+ तथा Cl- के प्रति सहज होता है जबकि कार्बनिक पदार्थों जैसे हार्मोन्स आदि से दूर रहने बाला होता है।

(b) Tail

इस भाग का निर्माण दो Fatty acids के एक ग्लिसीरोल अणु के साथ जुड़ने से होता है। यह भाग Hydrophobic अर्थात् जल तथा आयन से दूर रहने बाला होता है जबकि कार्बनिक पदार्थों के प्रति सहज होता है।


Phospholipid
फॉस्फोलिपिड अणु की संरचना 


यह मॉडल फेल हो जाता है क्योंकि यह कोशिका के अर्धपारगम्य होने को समझा नही पाता क्योंकि अगर इस मॉडल द्वारा बताई गई संरचना को माना जाए तो लिपिड का  Head पानी, आयन्स जैसे अकार्बनिक पदार्थों को तो अपने से गुजरने देगा क्योंकि बह इन पदार्थों के प्रति सहज होता है पर इन पदार्थों को लिपिड का Tail रोक देगा क्योंकि बह इन पदार्थों से दूर रहने बाला होता है। इसी प्रकार कार्बनिक पदार्थों जैसे हार्मोन्स आदि को तो Head बाला भाग ही रोक देगा क्योंकि बह कार्बनिक पदार्थो के साथ सहज नही होता। इस प्रकार से कोशिका झिल्ली तो अपारगम्य होगी पर ऐसा नही होता।


2-  तरल-मोजैक मॉडल (Fluid Mosaic Model)



Fluid mosaic model

यह मॉडल बैज्ञानिक Singer तथा Nicolson ने सन् 1972 में प्रस्तुत किया था। यह मॉडल कोशिका झिल्ली की संरचना को काफी अच्छे से समझाता है और सभी लोगो ने इसको स्वीकार किया है। इस मॉडल के अनुसार;

• कोशिका झिल्ली फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत के रूप में ही होती है तथा यह अर्धतरल प्रकृति की होती है।

• कोशिका झिल्ली में प्रोटीन परत के रूप में उपस्थित नही होती बल्कि या तो फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत में आंशिक या पूर्ण रूप से धंसी होती हैं जिन्हे आंतर या  Integral proteins कहते है, या बाहर की ओर पड़ी होती है जिन्हे वाह्य या Peripheral proteins कहते है।

• ये प्रोटीन मोजैक अवस्था में होती है मतलब फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत में बिखरी हुई होती है। 

• फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत की प्रकृति अर्धतरल होती है जिस कारण से ये प्रोटीन इस परत में गति भी कर सकते है।

• हाइड्रोफिलिक पदार्थों जैसे; आयन आदि को कोशिका झिल्ली से आर- पार ले जाने के लिए आन्तर प्रोटींस चैनल की तरह भी कार्य करते है।

• ओलिगोसैकेराइड्स (ऐसे कार्बोहाइड्रेट्स जिनके पास 3 से लेकर 10 तक मोनोसैकेराइड इकाईयां होती है)  फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत में मौजूद इन प्रोटींस से जुड़कर ग्लाइकोप्रोटीन(Glycoprotein) का निर्माण करते है।

• ओलिगोसैकेराइड्स फॉस्फोलिपिड की द्विअणुविक परत में मौजूद फॉस्फोलिपिड अणुओं से जुड़कर ग्लाइकोलिपिड्स (Glycolipids) का निर्माण करते हैं।



कोशिका झिल्ली के कार्य 

कोशिका झिल्ली एक अर्धपारगम्य, अर्धतरल प्रकृति की  तथा जीवित परत है। जिस कारण यह कई कार्यों में योगदान देती है जैसे;

• कोशिका झिल्ली कोशिका की अंतरिक संरचनाओं को घेरे रहती है तथा उनके लिए एक रोधक की तरह कार्य करती है अर्थात् बाहरी वातावरण से अलग करती है।

• जंतु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली कोशिका के आकार का नियमन करती हैं तथा बाहरी आघातों से सुरक्षा प्रदान करती है।

• अर्धपारगम्य तथा चयनात्मक होने के कारण यह कोशिका के अंदर तथा बाहर जाने वाले पदार्थों का नियंत्रण करती है। 

• अर्धतरल(Quasi Fluid) प्रकृति होने के कारण कोशिका विभाजन, में भी सहायक होती है।

• कोशिका झिल्ली में कुछ अंग जैसे ग्लाइकोप्रोटींस तथा ग्लाइकोलिपिड्स हार्मोन्स की पहचान करने तथा उनको ग्रहण करने में समर्थ होते है। इस प्रकार से कोशिका झिल्ली हार्मोन्स ग्राही अंग का कार्य करती है।

• कोशिका झिल्ली कोशिका के साथ-साथ कोशिका के अंदर मौजूद कोशिकांगो जैसे; माइटोकांड्रिया, हरितलवक, केंद्रक, एंडोप्लास्मिक रेटिकलम, गोल्जीबॉडी तथा लाइसोसोम्स का बाहरी आवरण भी बनाती है। 


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